१० बवासीर के घरेलू उपाय जो आपको तुरंत छुटकारा दे देंगे!
क्या आप ‘बवासीर’ या ‘अर्श रोग’ से, जिसे कि ‘पाइल्स’ या ‘हेमरॉयड्स’ भी कहते हैं, से परेशान है? तो आपको यह लेख जरूर पढ़ना चाहिए। बवासीर उस भयानक बीमारी का नाम है जिसमें पीड़ित को कई बार असहनीय पीड़ा से गुजरना पड़ता है और रक्त स्त्राव होने की वजह से कमजोरी, वजन में कमी, निम्न रक्तचाप, और ऐसी कई दूसरी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अतः यह अत्यंत आवश्यक है कि आप, फिर चाहे आपकी बवासीर की समस्या किसी भी स्तर पर हो, इस पीड़ादायी रोग का शिघ्रातिशीघ्र उपचार करें और इससे निजात पाएं ।
इस लेख में आप कई प्रकार से बवासीर का घरेलू उपाय जानेंगे जो कि बवासीर की दवा के रूप में आपको उत्तम लाभ पहुंचाएंगे। इसलिए यह आवश्यक है कि आप इस लेख को पूर्ण व अंत तक पढ़ें।
बवासीर होने के कारण:
अक्सर लोग शर्म या संकोचवश अपनी बवासीर से होने वाली तकलीफ को छुपाते हैं । हालांकि उनका यह संकोच समझा जा सकता है परंतु इसके कारण उनकी परेशानी कम होने की वजह और अधिक व्यग्र होती जाती है । बवासीर जैसी शारीरिक समस्या से छुटकारा पाने के लिए न सिर्फ एक अच्छे चिकित्सक से परामर्श करने की आवश्यकता है बल्कि सही समय पर इसका उपचार करके बवासीर का उपाय भी अति आवश्यक है । उपचार ना होने की स्थिति में रोगी को अत्यधिक पीड़ा से गुजरना पड़ता है और इस रोग के भीषणतम परिणाम भुगतने पड़ते हैं ।
बवासीर की दवा की जरुरत दो प्रकार के व्यक्तियों को पड़ती हैं – पहले वे, जिन्हें “खूनी बवासीर” की शिकायत होती है, अर्थात रक्त स्त्राव तो होता है पर पीड़ा नहीं होती; दूसरे वे, जिन्हें “बादी बवासीर” होती है, जिसकी वजह से उन्हें हर वक्त कब्जियत बनी रहती है और पेट भी खराब रहता है। वैसे तो बवासीर होने की कोई उम्र नहीं है परंतु यह समस्या सर्वाधिक 45 वर्ष से लेकर 65 वर्ष तक के लोगों में सामान्यतया देखी जाती है।
बवासीर होने की मुख्य वजह मलाशय यानी कि रेक्टम के निचले भाग की शिराओं में और गुदा यानी कि एनस के आंतरिक क्षेत्र की की राहों में स्वेलिंग आ जाना। इसके परिणामस्वरूप मलाशय के अंदर व बाहर मस्से जैसे उभर आते हैं। इनकी वजह से व्यक्ति को मल त्याग करने में तो कठिनाई आती ही है परंतु कई बार कष्ट इतना बढ़ जाता है कि सामान्य तौर पर बैठना भी कठिन हो जाता है।
- जिन व्यक्तियों को कोई ऐसा काम करना पड़ता है जिसमें उन्हें लंबे समय तक खड़े रहना होता हो या फिर माल ढुलाई का काम करते वक्त वजन उठाना पड़ता है को बवासीर की तकलीफ से गुजरना पड़ सकता है।
- गर्भवती महिलाओं में प्रेग्नेंसी के समय बवासीर एक गंभीर समस्या बन सकती है।
- वजन अधिक होना यानी कि मोटापा कई बीमारियों को न्यौता देता है, और बवासीर उनमें से एक है। इसलिए पाइल्स की समस्याओं की शुरुआत की एक वजह मोटापा भी हो सकता है।
- इसके अलावा कई अन्य कारण भी व्यक्ति को बवासीर की ओर ले जाते हैं जैसे कि, अनियमित दिनचर्या, असमय नाश्ता या भोजन करना, सही समय पर न सोना, पर्याप्त नींद का अभाव, ज्यादा मसालेदार भोजन करना, ताजी सब्जियों का सेवन न करना, इत्यादि।
चाहे आप पुरानी बवासीर का इलाज करना चाहते हो या आपकी समस्या नई हो, दवा के रूप में बवासीर का घरेलू उपाय करना काफी कारगर सिद्ध होता है । हमारे सामने कई पर्याय उपलब्ध हैं। इनमें से कुछ प्रमुख उपाय जैसे कि त्रिफला चूर्ण, हल्दी, नारियल का तेल, नीम, दूध और नींबू का मिश्रण, कैस्टर ऑयल, एलोवेरा, इत्यादि का प्रयोग बहुत प्रभावशाली है ।
तो आइए, हम देखें कि बवासीर दूर करने का कौन सा उपाय आप अपना सकते हैं और वो किस प्रकार आपको बवासीर की समस्या से छुटकारा दिला सकता है ।
-
त्रिफला चूर्ण:
पेट की समस्याओं की जब भी बात आती है, त्रिफला चूर्ण का नाम सर्वप्रथम सुझाया जाता है। जो लोग त्रिफला के प्राकृतिक गुणों से परिचित है उन्हें यह बात भली-भांति ज्ञात होगी, कि त्रिफला चूर्ण कई रोगों को समूल नष्ट करता है । यह तो हम सभी जानते हैं कि शरीर की ज्यादातर समस्याओं की, बीमारियों की जड़ ‘ख़राब पेट’ है और पेट का सुचारू रूप से काम न करना व्यक्ति को अस्वस्थ बनाता है । परंतु त्रिफला चूर्ण के नियमित प्रयोग से पेट की लगभग सभी समस्याओं का अंत करके मनुष्य निरोगी जीवन जी सकता है ।
त्रिफला के महत्व को हम इस प्रकार समझ सकते हैं कि इसमें स्वास्थ्यवर्धक आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां सम्मिलित होती है। त्रिफला यानी 3 औषधियों का सम्मिश्रण, और यह तीन औषधियां है – आंवला, बिभीतकी यानी कि बहेड़ा और हरितकी यानी कि हरड़। इन तीनों के अपने-अपने गुण होते हैं जो कि शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी होते हैं ।
- त्रिफला के नियमित सेवन से मल की कठोरता दूर होकर और कब्जियत समाप्त होती है ।
- पेट की नसों में होने वाला रक्त संकुलन दूर होता है ।
- इससे मलद्वार हो गुदा कोशिकाओं तथा शिराओं में लचीलापन उत्पन्न होकर रक्त संचालन सामान्य होता है।
- त्रिफला से मल त्याग में कोई बाधा नहीं होती।
इस प्रकार त्रिफला बवासीर का उत्तम घरेलू उपाय है।
2. कैस्टर ऑयल (अरंडी का तेल):
अरंडी के तेल में भी ऑक्सीकरण रोधी गुण होते हैं और साथ ही इसमें जीवाणुओं से होने वाले संक्रमण को दूर करने की क्षमता होती है । फलस्वरूप यह एक अच्छा बवासीर का उपाय है । 3 मिलीलीटर अरंडी का तेल, रोज रात को दूध के साथ लेने से यह बवासीर की दवा का काम करता है । इसे हम पाइल्स प्रभावित क्षेत्र में भी लगा सकते हैं ।
नियमित रूप से इसका बाह्य व आंतरिक प्रयोग करने से कैस्टर ऑयल पाइल्स से छुटकारा दिलाता है।
3. दूध और नींबू से बवासीर का इलाज:
आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि दूध और नींबू, जो कि हर घर में आसानी से उपलब्ध होते हैं, बवासीर के घरेलू इलाज में कारगर है। एक गिलास गर्म दूध में नींबू का रस निचोड़ लें और इसे तुरंत पी जाए । यह बवासीर के विरुद्ध एक अचंभित कर देने वाला उपाय साबित हो सकता है। अगर अत्यधिक रक्तस्त्राव हो रहा हो और आप बवासीर का प्राकृतिक तरीके से इलाज चाहते हैं, तो इसी प्रयोग को कुछ घंटों के अंतराल में दिन में कई बार दोहराएं। पुरानी से पुरानी बवासीर का इलाज भी इस प्रयोग से ठीक हो जाएगी।
4. नारियल का तेल:
क्या आप जानते हैं कि नारियल का तेल कई प्रकार से स्वास्थ्यवर्धक है? नारियल का तेल एक उत्तम मॉइश्चराइजर है जिसकी वजह से यह अर्श रोग के लक्षणों को समय रहते ही ठीक कर देता है। नारियल का तेल जलन दूर करता है एवं सूजन भी दूर करके त्वचा पर खरोंचें नहीं आने देता ।
इस प्रकार नारियल का तेल, बवासीर की दवा का काम करता है और बवासीर के रोगी की पीड़ा को अत्यधिक लाभ पहुंचाता है.
5. हल्दी, कपूर से बवासीर का इलाज:
हल्दी, कपूर से बवासीर का इलाज संभव है। सर्वविदित है की हल्दी अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है। बवासीर के रोगियों के लिए हल्दी एक संजीवनी का काम कर सकती है, अगर इसे नियमित रूप से प्रयोग किया जाए। इसके एंटी इन्फ्लेमेटरी गुणों के कारण हल्दी एक औषधि के रूप में प्रयुक्त होती है और अगर इसे नारियल के साथ मिलाकर कपास पर लगा कर बाह्य रूप से बवासीर पर लगाया जाए, तो यह बवासीर की दवा का काम करती है। इस प्रकार हल्दी से बवासीर का इलाज संभव है।
कपूर में शीत कारक गुण होते हैं जिनके प्रभाव से बवासीर में होने वाली जलन, मलद्वार पर आया सूजन और बवासीर से होने वाली पीड़ा को कम करने में मदद मिलती है। कपूर के चिकित्सकीय गुण बवासीर के उपचार में तेजी लाते हैं और रोगी को अत्यधिक लाभ पहुचातें हैं।
6. गर्म पानी:
बिना दवा लिए, या दूसरा कोई बवासीर का घरेलू उपाय किए बगैर, ठीक होना चाहते हैं तो आप गर्म पानी का यह प्रयोग कर सकते हैं। हर बार मल त्याग के बाद प्रभावित क्षेत्र को लगभग 15 मिनट, गर्म पानी भरे एक टब में भिगोए। ऐसा दिन में कम से कम 3 बार करें। लाभ मिलेगा।
7. नीम से बवासीर का इलाज:
आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों की बात हो और नीम का नाम ना आए यह संभव ही नहीं। नीम से भी बवासीर का इलाज संभव है। बाह्य रूप से नीम का रस अगर अर्श रोग प्रभावित क्षेत्र पर लगाया जाए तो जलन व खुजली दूर करने में अत्यधिक सहायता मिलती है वह मल त्याग भी सुचारू रूप से होता है ।
8. मिट्टी के तेल:
बवासीर की चरम स्थिति में कुछ चिकित्सक मिट्टी के तेल से भी बवासीर का इलाज करते हैं । इसे आंतरिक व बाह्य, दोनों प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है। आंतरिक बवासीर के उपचार हेतु थोड़े से मिट्टी के तेल को इंजेक्ट किया जाता है जबकि बाह्य रूप से इसे लगाया जा सकता है। कुल मिलाकर केरोसीन, यानी की मिट्टी का तेल, एक प्रकार से बवासीर का घरेलू उपाय है।
9.एलोवेरा से बवासीर का इलाज:
एलोवेरा की चमत्कारिक औषधीय विशेषताएं सभी को विदित है। एलोवेरा से बवासीर का इलाज करने के लिए आपको केवल इतना ध्यान रखना होगा कि यह त्वचा संबंधी रोगों की सर्वोत्तम औषधी है। एलोवेरा के सूजनरोधी गुण बवासीर प्रभावित क्षेत्र से जलन व सूजन दोनों कम करते हैं। इस प्रकार एलोवेरा से बवासीर का उपाय हो सकता है तथा इससे किसी रोगी की पुरानी बवासीर का इलाज भी संभव है।
10. केला से बवासीर का इलाज:
प्राकृतिक गुणों से भरपूर केला कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। केले में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध लैक्सेटिव यानी कि रेचक कब्ज को दूर करते हैं, जो कि पाइल्स उत्पन्न होने की सबसे बड़ी वजह है। एक पका हुआ केला खाने से शौच की कठोरता दूर होकर मलत्याग आसानी से हो जाता है। इसके अलावा केले के सेवन से गुदा व इसके आसपास की सूजन व पीड़ा में भी आराम पहुंचता है ।
इस प्रकार केला से बवासीर का इलाज करके आप अपने दर्द उसे पूरी तरह राहत पा सकते हैं।
इन घरेलू उपाय के साथ साथ अगर आप हमारी आयुर्वेदिक दवा Ayurhoids का सेवन करोगे तो आपको बवासीर से तुरंत छुटकारा मिल जायेगा । लाखो लोगोने हमारी दवा इस्तेमाल की है और बवासीर से छुटकारा पाया है। आप भी try करके देख लीजिये।